कविता

स्टीफन हाकिंग

ब्रह्मांड भी सहसा

रोया है आज

तुम्हारे जाने के बाद

पर मैंने तुमसे जाना

ब्रह्मांड के अनसुलझे

सवाल

जानते रहे सदियों से

बन जाता है मरने पर

इंसान एक तारा

इतना सा ज्ञान हमारा

पर तुमने बताया

एक दिन तारे का

भी आस्तित्व नहीें रहता

बन जाता ब्लैकहोल

एक नये ब्रह्मांड बनने को तैयार।

ब्रहमांड सी मस्तिष्क

ब्रह्मांड में विलीन

अभी खोज

बाकी

पता है मुझे

तुम जन्म ले चुके हो

ब्रह्मांड के अनसुलझे

सवाल का जवाब देने के लिए ।

अभिषेक कांत पाण्डेय

अभिषेक कांत पाण्डेय

हिंदी भाषा में परास्नातक, पत्रकारिता में परास्नातक, शिक्षा में स्नातक, डबल बीए (हिंदी संस्कृत राजनीति विज्ञान दर्शनशास्त्र प्राचीन इतिहास एवं अर्थशास्त्र में) । सम्मानित पत्र—पत्रिकाओं में पत्रकारिता का अनुभव एवं राजनैतिक, आर्थिक, शैक्षिक व सामाजिक विषयों पर लेखन कार्य। कविता, कहानी व समीक्षा लेखन। वर्तमान में न्यू इंडिया प्रहर मैग्जीन में समाचार संपादक।