गौरैया
खपरैले के नीचे, गौरैया के बच्चे रहते थे ।।
यह बच्चे एक दिन, उड़ जायेंगे, दादा जी कहते थे ।
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खपरैले में गौरेया ने नन्ही नीड़ बनायी थी,।
जाने कहाँ कहाँ से वो तिनके चुनचुनकर लायी थी।
बिना पंख के नन्हे चूजे पीली पीली चोंचो वाले-
सिर निकाल कर चूँ चूँ करके कैसी बातें करते थे?
यह बच्चे ………………………….
एक रोज वो काला कौवा खपरैले पे आया था
गौरैया के बच्चो को जब उसने नजर लगाया था ।
बड़ी देर तक नन्ही गौरेया कौवे से झगड़ी थी –
उसी रोज से चूजे नीड़ के बाहर नही निकलते थे।
यह बच्चे …………………………………..
गाँवो से भी दूर हो रहे खपरैले औ छप्पर छानी।
कंक्रीट के बस जंगल हैं, दूषित है अब हवा सुहानी।
अब तो एसी कूलर वाले ,वर्षा ,आतप,हिम क्या जानें ?
वो कैसे पुरखे थे जो ,सारा दिन गर्मी सहते थे ?
यह बच्चे ………………………………….
———-डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी