बाल कविता – मन गौरैया
छुटकू सा है मन गौरैया
फुदके नाचे ता ता थैया
जब भी यह घबराता है
खिड़की पर आ जाता है
खूब उड़ेगा आसमान में
नाम करेगा इस जहान में
सपने खूब सजाता है
पंखों को सहलाता है
घर से बाहर शोर बड़ा है
धूल धुँअे का ज़ोर बड़ा है
कुछ समझ ना पाता है
मुश्किल में फँस जाता है
पेड़ो को हम ना कटवायें
सुंदर सुंदर फूल उगायें
यही विचार तब आता है
मन फिर फुदका जाता
©शिप्रा खरे