बाल कविता

बाल कविता – मन गौरैया

छुटकू सा है मन गौरैया
फुदके नाचे ता ता थैया
जब भी यह घबराता है
खिड़की पर आ जाता है

खूब उड़ेगा आसमान में
नाम करेगा इस जहान में
सपने खूब सजाता है
पंखों को सहलाता है

घर से बाहर शोर बड़ा है
धूल धुँअे का ज़ोर बड़ा है
कुछ समझ ना पाता है
मुश्किल में फँस जाता है

पेड़ो को हम ना कटवायें
सुंदर सुंदर फूल उगायें
यही विचार तब आता है
मन फिर फुदका जाता

©शिप्रा खरे

शिप्रा खरे

नाम:- शिप्रा खरे शुक्ला पिता :- स्वर्गीय कपिल देव खरे माता :- श्रीमती लक्ष्मी खरे शिक्षा :- एम.एस.सी,एम.ए, बी.एड, एम.बी.ए लेखन विधाएं:- कहानी /कविता/ गजल/ आलेख/ बाल साहित्य साहित्यिक उपलब्धियाँ :- साहित्यिक समीर दस्तक सहित अन्य पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित, 10 साझा काव्य संग्रह(hindi aur english dono mein ) #छोटा सा भावुक मेरा मन कुछ ना कुछ उकेरा ही करता है पन्नों पर आप मुझे मेरे ब्लाग पर भी पढ़ सकते हैं shipradkhare.blogspot.com ई-मेल - [email protected]