हरसिंगार
शाम गये दलान में हरसिंगार के पेड़ के पास ही उछल कूद रही थी चिड़िया। प्यार से सब उसे चिड़िया ही बुलाते थे। बहुत चुलबुली थी ना।
हरसिंगार के पेड़ के पास अम्मा तख्त पर बैठे-बैठे ही कई बार टोक चुकीं थीं “रे लड़की कुछ काम कर लिया कर, नही तो अपनी माँ का हाथ ही बँटा लिया कर”। लेकिन दस साल की बेपरवाह चिड़िया पर असर कहाँ होता ।
“अरे वाह अम्मा खूब महक रहा है हरसिंगार इस साल”, दिन में ही शहर से आया था अजीत और अभी अपने गाँव के दोस्तों से मिलकर लौटा तो अपनी भतीजी पर एक नज़र डालते हुए छत पर चला गया।
पौ फटते ही हरसिंगार के फूल कुम्हलाये पड़े थे और चिड़िया
गुमसुम हो चुकी थी।