हायकु
हायकु सृंखला-2
1-रक्त एक ही
फिर भी तो लड़ते
राम-रहीम।
2-घटी मर्यादा
गरिमा विस्मित सी
कद-पद की ।
3- रंक से राजा
पलटती जो बाजी
राजा से रंक।
4- शूल जीवन
नेक काम करें तो
पथ्य में फूल ।
5- जीवन-नैया
चढ़ती-उतराती
भव-सागर ।
[15/04, 9:39 AM]