कविता – महिला शक्ति
(महिला दिवस के अवसर पर)
महिला शक्ति ,
जब भी मैं इसका नाम सुनती हूँ ,
तो मन गर्व से भर उठता है ,
कि हम भी तो इसमें से एक है , और हमारे इरादे अनेक है ।
हम में शक्ति है ,
हम में भक्ति है ,
मन के भावों को प्रकट करने की अभिव्यक्ति है ।
नारी शक्ति वो शक्ति है ,
जिसको समझना आसान नही ,
पर वह है एक सीधी- साधी
भोली -भाली ,
उसको जरा भी अभिमान नही ।
जो कि अपना सर्वस्य दूसरों पर
न्यौछावर कर देती है ,
देती है अपने को कष्ट मगर ,
दूसरों का संकट हर लेती है ।
वह है परिपूर्ण ममतामयी ,
त्यागमयी ,
सरलता की वह सूरत है ।
रूप अनेक है उसके जिस -जिस को उसकी जरूरत है।
ईश्वर का रचा हुआ रूप है वो
जग में उसकी जरूरत है , जन्म दिया है उसने मानव को ,
वह त्याग दया की मूरत है ।
माँ , बेटी और बहन सखा ,
हर रूप में वह ढ़ल जाती है ,
कितने भी कठिन पल हो उसपर ,
वह सहज भाव से चल पाती है ।
इसकी शक्ति पर तुम अभिमान करो ,
ईश्वर की नैमत का सम्मान करो ,
नारी अबला नही सबला है ,
न इसका तुम अपमान करो ।
न इसका तुम अपमान करो ॥
— डॉ माधवी कुलश्रेष्ठ
प्रधानाचार्या