मां तो सिर्फ मां
मां तो सिर्फ मां ही होती,
क्योंकि…
ममताभाव से परिपूरित होती।
बच्चे की हर सांस होती मां,
बालपन की आस होती मां।
हर खुशी में साथ होती मां,
हर दुख में पास होती मां।
घर-घर की देवी होती मां,
हर परिवार की नींव होती मां।
दुःख-सुख की साथी होती मां,
सभ्य-समाज की शान होती मां।
पढे-लिखे बच्चे का मान होती मां,
हर एक जन का ध्यान रखती मां।
अपनी खुशी बच्चों में ही ढूंढ़ती मां,
हमारी संस्कृति का सम्मान है मां।
देशभक्त वीर की जननी है मां,
अन्न-धन से परिपूर्ण करती मां।
देश के कण-कण में बसती है मां,
इसीलिए कहते हम इसे भारत मां।
क्योंकि…
मां का कभी कोई विराम नहीं,
मां से बड़ा कोई और नाम नहीं।
और सत्य यह कि…
मां से बड़ा कोई और धाम नहीं।।
— शम्भू प्रसाद भटृट