ग़ज़ल
तेरे दिल के किसी कोने में रहता हूँ मैं
तू कहेगी नही ये बात जानता हूँ मैं
लोगों को लगता कि मैं पागल हो गया
आईने से हर रोज़ यही पूछता हूँ मैं
हम तो है इशारों में बाते करने वाले
वो भी आँखों से कहती है आँखों से कहता हूँ मैं
उसने ज़िक्र किया होगा किसी सफ़े पे मेरा
इसलिए हर रोज़ क़िताबे पढ़ता हूँ मैं
उसके बिना गज़ले मुक़म्मल न हुई नन्हा
उससे प्यार है तो गजलें लिखता हूँ मैं
– शिवेश अग्रवाल ”नन्हाकवि”