एक ख्वाब है।
एक ख्वाब है
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विकास के गूंजें चारों ओर मंत्र ।
असफल हो गंदी राजनीति के षड्यंत्र ।
ना कहीं भ्रष्टाचार हो ना हो भ्रष्टतंत्र ।
बस बिगुल बजे समृद्धि का खुशहाली का।
हर कोई हो सक्षम हर कोई हो स्वतंत्र।
ना कोई गद्दार हो न कोई दुश्मन ।
जब बात हो भारत के स्वाभिमान की।
तब एकजुट हो सकल तंत्र ।
न बात हो मंदिर की, न मस्जिद की।
जब भी बात हो, बस बात हो ।
इंसानियत के मंत्र की।
सम्मान हो हरेक सिपाही का ।
उस की दी हुई अनमोल कुर्बानी का ।
सम्मान हो नारी का,हरेक ग्यानी का ।
सम्मान हो संस्कृति का,हरेक प्राणी का।
खिल उठे मेरे भारत का चमन फिर से।
सर न झुके किसी भी हिंदुस्तानी का ।
कभी किसी भी हिंदुस्तानी का।
स्विवरचित:विजेता सूरी,रमण।
10.3.2018