तेरे जाने से
तेरे जाने से गमज़दा होगा,
सारा आलम जु़दा-जु़दा होगा।
मुद्दतो हुए कोई रहा ही नहीं ,
घर का धुँधला सा आइना होगा।
एक ग़र हम न हुए तो सुनो,
ये शहर फिर धुआँ-धुआँ होगा।
वो जो कहता था दूर जाना है,
जाने क्यों बीच में उतरा होगा।
आज सहमी सी खुशी क्यों है,
लगता है मौत का दबदबा होगा।