” दर्द ना समझा कोई ” !!
पल में अँखियाँ हँसी अगर तो ,
पल में अँखियाँ रोई !!
दूर कहीं खोया है मनवा ,
पीर कोई ना जाने !
जूझ रही जन्मों से हूं मैं ,
मिले न ठौर ठिकाने !
बहलाने को कितने आये ,
दर्द ना समझा कोई !!
खुशबू के झोंके आये तो ,
पल में बहल गये !
दर्द हुआ कपूर अगर तो ,
हम भी सम्भल गये !
रोज़ उड़ाने भरते हैं हम ,
उम्मीदें जो ढोई !!
आसमान ने बांधा हमको ,
फैला दी जो बाँहें !
मां धरणी की गोदी में हम ,
खुद को खूब सराहें !
पवन झकोरे बने मित्र हैं ,
सुखदा कहाँ है बोई !!
आशाओं का दामन छूटे ,
कभी हाथ है आये !
कभी पराये लगते अपने ,
अपने हुए पराये !
हार यदि मिलनी मिल जाये ,
जीत से रार न होई !!
समय कभी बांधा करता है ,
बड़े जटिल बन्धन से !
कभी हृदय से गले लगाता ,
अभिषेकित चंदन से !
सब कुछ अंगीकार करें हम ,
मुस्कानें ना खोई !!