लघुकथा

लाचारी

सामने गली की नुक्कड़ में छोटा सा घर दुल्हन की तरह सजा था! घर की चहल-पहल व रौनक से लग रहा था आज कोई बड़ी खुशी का अवसर है। तभी रीना की कामवाली बाई आ गई ..वह खुद को रोक ना पाई उत्सुकतावश पूछ बैठी,”आज सामने वाले घर में क्या है, बढ़ी चहल-पहल दिख रही “?उसके पूछते ही सकीना उत्साहित होकर बोली,”मेम साहब उनके घर में शादी है”! बड़े ही भाग्यवान हैं एकदम बडिया ‘मोटी सामी’ मिली है। उनके तीसरे नंबर की लड़की को पसंद कर लिया और चट मंगनी पट ब्याह वाली रस्म निभाई जा रही है! रीना ने हैरान होकर पूछा, “ऐसे कैसे?” वह चौकी खींच कर कुछ पास आकर फुसफुसाती हुई बोली, “सुना है लड़का अधेड़ उम्र का है. रीना तुरंत बोली लड़की की उमर क्या है? वह इधर उधर देखते हुए बोली, “ किसी को बताना नहीं मेम साहब मात्र 16 साल की. लडके उम्र ना पूछेगीं ? उसने विस्फोट करते हुए कहा.. पूरा 40 का है।

रीना का मुंह खुला का खुला रह गया पांव के नीचे से मानों जमीन सरक गई हो।वह उसे टोकते हुए बोली, ‘इसे तुम भाग्य की बात बता रही हो’? वह पहले तो सकपकाई फिर संभल कर बोली, “और नहीं तो क्या बीवी जी.. ?”आपको मालूम भी है कितने बड़े घर में जा रही है ?शहर में अपना बंगला है ,बड़ी गाड़ी, बड़ा व्यवसाय है अब अपने संग संग बाकी चार बहनों का व गरीब माँ बाप का भी कल्याण कर देगी.शादी का सारा खर्च भी वोही उठा रहे हैं। एक धेले का दहेज तक न देना पड़ा। यह तो भला कहो कि उसकी खूबसूरती ने उनका मन मोह लिया वरना अपनी बड़ी बहन की तरह किसी फेरीवाले के संग ब्याही जाती कहकर वह चौकी छोड़ अपने काम में लग गई और रीना के मन में झंझावात की तरह प्रशन उठने लगे थे ।

— विजेता सूरी, ‘रमण’

विजेता सूरी

विजेता सूरी निवासी जम्मू, पति- श्री रमण कुमार सूरी, दो पुत्र पुष्प और चैतन्य। जन्म दिल्ली में, शिक्षा जम्मू में, एम.ए. हिन्दी, पुस्तकालय विज्ञान में स्नातक उपाधि, वर्तमान में गृहिणी, रेडियो पर कार्यक्रम, समाचार पत्रों में भी लेख प्रकाशित। जे ऐंड के अकेडमी ऑफ आर्ट, कल्चर एंड लैंग्वेजिज जम्मू के 'शिराज़ा' से जयपुर की 'माही संदेश' व 'सम्पर्क साहित्य संस्थान' व दिल्ली के 'प्रखर गूंज' से समय समय पर रचनाएं प्रकाशित। सृजन लेख कहानियां छंदमुक्त कविताएं। सांझा काव्य संग्रह कहानी संग्रह प्रकाशित।