वक्त की सीख –
आज वक्त है शहनाई का
शहनाई बजा लीजिये |
आज वक्त है विदाई का
आँसू बहा लीजिये |
आज वक्त है जीने का
आशीर्वाद दीजिए |
आज वक्त है खुशी का
आप भी शामिल हो लीजिये |
आज वक्त है लड़ाई का
कफ़न बांध लीजिये |
आज वक्त है अंतिम सफर का
थोड़ा कंधा तो दीजिए |
आज वक्त है दुःख का
थोड़ा सा बाँट लीजिये |
आज वक्त है तुम्हारा
तो हमें ना भूलिए |
आज वक्त है बदल रहा
भरोसा ना कीजिये |
वक्त की धूप-छाँव में
हमें ना तौलिए |
वक्त ही है बलवान
स्वयं पर गुमान ना कीजिये |
आज है तुम्हारा तो
कल होगा हमारा |
यही है वक्त की तकरार
मान लीजिये ||
–००–
||सविता मिश्रा ‘अक्षजा’||
२०/११/८९