भोजताल
पिछले कुछ वर्षों से
अजनबी से लग रहे हो
जबसे तुमने विकास का दामन थामा है।
मेरे सारे यदगार पल
तुममें ढूंढते है वो पहले से अपनापन
वो चित्र जो तुमने अपने इन तटों की मोटी दीवारों में चुनवा दी है।
वो साहिल के पत्थर
और बैठे परिंदे गायब से हो गये हैं।
अब तुम हो तो गये हो
पहले से और भव्य और खूबसूरत
विदेशी पेड़ पौधों से घिरे हुए
इतराते हुए
बहुत अच्छे भी लगने लगे हो
किन्तु नहीं है तो वो पहले सा लगाव
वो पुराने दिनों के खूबसूरत लम्हे।
इस बार महसूस किया मैनें तुम्हारी बेरूखी
मेरी यादों को वर्षों पुरानी कहकर
तुम्हे उपहास करते हुए।
तुम्हारे तट पर स्थित वो मंदिर
भोजनालय, हाथठेले और तो और
जोडे़ में बैठने के लिए चिरपरिचित उद्यान
सब बड़ी तेजी से बदल गये हैं।
ये बदले हुए स्वरूप भेले ही जँचते हों
किन्तु अपनापन सा कुछ भी नहीं
पर्यटकों को लुभाते कमलापार्क और अन्य
जिनके कुछ हिस्सों में सपाट दौड़ती है सड़क
अब खोजी जाएंगी पुरानी तस्वीरों में अजनबी की तरह।