स्थान न हो नफरतों के लिए
स्थान कोई न हो नफरतों के लिए
एक सम दृष्टि हो मजहबों के लिए
प्रेम पींगें बढ़ा कर मुहब्बत करो
हाथ को भी बढा दोस्तों के लिए
नेक इन्सान खुद में जगाए सदा
कर उठे उस खुदा नेमतों के लिए
सीख हर धर्म की यह हमेशा रही
जान को भी गंवा आयतों के लिए
कर्म करते रहे आज समभाव हो
बुद्धि सबको मिली मुश्किलों के लिए
प्यार उपहार जहाँ में सभी को मिला
लालसा बस रहे वास्तों के लिए
जिन्दगी बस उसी की बहूमूल्य है
जी रहा हो यहाँ दूसरों के लिए
जय हो बहुत खूब
Nice