कविता

ये कैसा इत्तफ़ाक

कैनवास पर रंगों को सजाने चाहती हूं, मगर रंग नही सजते
अब ये कैसा इत्तफाक है तेरा आना, और रंगों का सज जाना
कई बार कुछ लिखना चाहती हूँ, पर लिख नही पाती
मगर ये हुआ है कई बार कि,
तेरा आना और खोये लफ़्ज़ों का मिल जाना…
कोशिश है तुझे भूल जाने की,
मगर ये कैसी अज़ीब सी बात है कि,
तुझे भुलाने की कोशिश,
मुझे खुद से ही दूर कर जाती है हर बार…….
सुमन

सुमन राकेश शाह 'रूहानी'

मेरा जन्मस्थान जिला पाली राजस्थान है। मेरी उम्र 45 वर्ष है। शादी के पश्चात पिछले 25 वर्षों से मैं सूरत गुजरात मे रह रही हुँ । मैंने अजमेर यूनिवर्सिटी से 1993 में m. com किया था ..2012 से यानि पिछले 6 वर्षों कविताओं और रंगों द्वारा अपने मन के विचारों को दूसरों तक पहुचने का प्रयास कर रही हुँ। पता- A29, घनश्याम बंगला, इन्द्रलोक काम्प्लेक्स, पिपलोद, सूरत 395007 मो- 9227935630

2 thoughts on “ये कैसा इत्तफ़ाक

  • कुमार अरविन्द

    बहुत सुंदर कविता है जय हो

    • सुमन राकेश शाह 'रूहानी'

      धन्यवाद🙏😇

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