फ़ोटो फ्रेम
यूँ तो दोस्त ही था वो मेरा
मगर वो था बिल्कुल फोटोफ्रेम
मैं कहती थी, कहती ही रहती थी
उसका कोई जवाब न मिलता था
मगर दीवानापन देखो मेरा
सारा दिन मैं उसमें ही खोई रहती थी
अपना हंसी-आँसू उससे ही बांटा करती थी
कभी कुछ कह कर दिल भी
तो नही दुखाता था वो मेरा
बस यूँ ही प्यार से मुस्काया करता था
उसकी मुस्कान की भाषा मैं पढ़ती
अपने आँसू पोंछ, हिम्मत से आगे बढ़ती थी
अपनी खुशियां भी तो,उसकी इसी
मुस्कान के संग बाँटा करती थी…
यूँ तो दोस्त ही थी वो मेरा
मगर वो था बिल्कुल फोटोफ्रेम…
— सुमन