गीतिका
अंध मिटाकर दिया जलायें
दर्द भुलाकर ख़ुशी दिलायें !
आज अगर सो गया जमाना
क्यूँ न चलो हम उसे जगायें !
राह बड़ी मुश्किलों भरी है
सोच समझ कर कदम बढायें !
छोड़ परे जो लिखा विधी का
कर्म करें, कर्तव्य निभायें !
देह मनुज की मिली हमें है
व्यर्थ नहीं हम इसे गवायें !
— डॉ सोनिया
गजब