सरस्वती वंदना
हे माँ मुझे, रोशनी दे ज्ञान की
दूर कर अज्ञानता
हाथ में वीणा पुस्तक
मोर पंख सुशोभित मस्तक,
तू ज्ञान है विधाता
ओ ममतामयी, करूणामयी
इतनी कृपा मुझ पर पर करना
मैं सदा चारी बनूँ।
सत्य के पथ पर चलूँ
विऱोध करूं अन्याय का
मुस्किलो से ना डरो
दे शक्ति मुझे माँ सरस्वती ।
आलस्यता का नास कर माँ
नव चेतना का संचार कर माँ
ज्योति से भर दे वसुन्धरा
यही मेरी प्रार्थना यही मेरी वंऩ्दना।
हे माँ मुझे रोशनी दे ज्ञान की
— कालिका प्रसाद सेमवाल