” —————————– आज कैसे हो गया ” !!
रात आंखों में बसा के याद तेरी सो गया !
बात वो ही कह न पाया राज़ था जो खो गया !!
आज नींदें उड़ गई थी सोचकर ये बाद में ,
दाग मुझको लग न जाये यारियां जो बो गया !!
साथ यों ही जब तब मुझे बेबस लगा मौसमी ,
मार जो भी पड़ गयी सब मुस्करा कर ढो गया !!
खुशनुमां सब इस चमन में रह सकें यह सोच हो ,
राह में फिर आज कोई कील कंटक बो गया !!
रातभर थी थाप मेरे द्वार कोई हार थक ,
एक बला है सोच मन में मुस्करा कर सो गया !!
दाग दामन पर कहाँ थे अबतलक ये बोल दो ,
बात करते सोच बदली आज कैसे हो गया !!
ज़िन्दगी भर रोटियों की आस लेकर ना थका ,
बेवफाई फिर समय की देख कर वो रो गया !!!
हाथ में ले हाथ हम तुम दूर तक आ ही गये ,
और नज़रों का चुराना इक सितम सा हो गया !!
पास आकर वे हमारे ना हुऐ तो क्या हुआ ,
दूर था जो दूर रहकर आज मेरा हो गया !!