राजनीति

दलित मित्र योगी जी की चौपाल व दलित प्रेम से विरोधी दल सकते में

सुप्रीम कोर्ट से एससी/एसटी एक्ट पर आये फैसले व प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन के बाद बन रहे कठिन समीकरणों को साधने के लिए प्रदेश भाजपा सहित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व पूरी सरकार ने अपनी कार्यशैली को ही बदल दिया है। भाजपा सरकार व नेताओं के दलित प्रेम के कारण प्रदेश के सभी विरोधी दल खासे बैचेन हो उठे हैं। दलितों व पिछड़ों के बीच छवि को चमकाने के लिए एक विशेष रणनीति पीएम नरेंद्र मोदी व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में तैयार की गयी है। अपनी नयी कार्यशैली में मुख्यमंत्री ने अपने कड़े तेवर अपना लिये है। प्रदेश सरकार ने पीएम मोदी के निर्देशों के बाद राज्य में ग्राम स्वराज अभियान के सहारे दलितों पिछड़ों व अति-पिछड़ों के बीच अपनी छवि को सुधारने का भी महाअभियान शुरू कर दिया है जिसके बाद इन दलों के होश उड़ गये हैं। अभी आने वाले दिनों में बीजेपी संगठन व सरकार के नजरिये से ऐसे कई कदम उठाने जा रही है जिसके बाद सपा और बसपा की परेशानियां बढ़ने ही वाली हैं।

प्रदेश की राजनीति में यह काफी लम्बे समय के बाद हो रहा है कि राज्य का कोई मुख्यमंत्री रात्रि में गांवों में विश्राम कर रहा है और चैपाल लगाकर सीधे ग्रामीण जनता से उनकी समस्याओं और विकास कार्यों को लेकर संवाद कर रहा है। साथ ही दलितों व गरीबों के घर में जाकर उनके साथ भोजन कर रहा है। मुख्यमंत्री सीधे जनता के बीच जाकर विकास कार्यांे की जांच और समीक्षा कर रहे हैं, जिसके कारण अफसरों के मन में भी कुछ भय तो पैदा होगा ही। अब यह तो आगे आने वाला समय ही बतायेगा कि प्रदेश का दलित समाज किसके साथ है, लेकिन सपा व बसपा के खेमे में सरकार की गतिविधियों को लेकर बैचेनी तो उत्पन्न हो ही गयी है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गांवों में चैपाल लगाने का फैसला किया है। उनके साथ सीधा संवाद करने का निर्णय लिया है। गरीबों के साथ दाल रोटी खाने और गांव के किसी स्कूल या पंचायतघर में ही रात्रि विश्राम भी करेंगे। विकास कार्यों की परख के लिए औचक निरीक्षण का सिलसिला भी शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जनता से यह सीधा संवाद अपनी तरह का एक अनोखा प्रयोग है। इस संवाद के बीच में न कोई अफसर और न कोई मंत्री। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस प्रकार से काम करने की नई कार्यशैली को अपनाया है उससे उनकी एक नयी छवि जनता के बीच आयी है। विश्लेषकों का मत है कि योगी की नयी छवि से उनकी लोकप्रियता में बढ़ोत्तरी हो सकती है।

वहीं दूसरी ओर प्रदेश भाजपा संगठन व सरकार में भी आगामी दिनों में बड़े बदलाव किये जाने वाले हैं। इसके तहत भाजपा सरकार अब निगमों, आयोगों और बोर्डाें के 350 नामित पदों पर में 65 फीसदी हिस्सा पिछड़ी, अतिपिछड़ी, दलित व अतिदलितों को देने जा रही हैं इन पदों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य व सलाहकार शामिल हैं। इस र्फामूले के अंतर्गत अतिपिछड़ी और पिछड़ी जातियों को 50 फीसदी और अतिदलित व दलितों को 15 फीसदी नामित पद देगी। दस तरह पिछड़ों और दलितों को 65 फीसदी पद देने के बाद 35 फीसदी पद सामान्य ऊंची जातियों को दिये जायेंगे। सपा और बसपा की राजनीति को समाप्त करने के लिए ही प्रदेश सरकार ने पूर्व डीजीपी बृजलाल को उप्र अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष नामित करने के बाद उन्हें प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा देकर समाज को एक बड़ा संदेश देने का काम किया है। पूर्व पुलिस महानिदेशक बृजलाल काफी लोकप्रिय अधिकारी थे तथा अपनी हड़क व तेवरों के चलते बसपा सुप्रीमो मायावती के भी काफी पसंदीदा हो गये थे लेकिन अब उन्होंने बसपा को त्याग दिया है और जिसका लाभ उनको मिला भी है।

बसपा सुप्रीमो मायावती भी जिलों का औचक निरीक्षण किया करती थीं, लेकिन उनके औचक निरीक्षण और मुख्यमंत्री योगी जी के चैपाल व निरीक्षण में जमीन-आसमान का अंतर साफ दिखायी पड़ रहा है। ग्राम स्वराज अभियान के अंतर्गत केंद्र व राज्य सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सीधे जनता तक पहुंचाने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत सभी ग्रामीणों के जन-धन खातों को खोलने से लेकर दूर दराज के सभी गांवों में उज्ज्वला योजना के माध्यम से रसोई गैस पहुँचाने तक के लिए शिविरों व दिवसों का आयोजन किया जा रहा हैं। पीएम मोदी की इन सभी योजनाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में गेमचेेंजर के रूप में माना जा रहा है। चाहे जो भी हो फिलहाल मुख्यमंत्री का यह चैपाल कार्यक्रम व रात्रिनिवास का काम एक नयी इबारत लिखने जा रहा है। जिसके कारण भाजपा विरोधी दलों को एक बार फिर अपनी जमीन खिसकती हुई दिखायी पड़ने लगी है। आज ग्रामीण जनता को निःशुल्क बिजली कनेक्शन मिल रहा है। शीघ्र ही ग्रामीण जनता को आयुष्मान योजना का लाभ भी मिलने लगेगा। आज बसपा व सपा में यही भय फिर से बैठ गया है कि बीजेपी के इस अभूतपूर्व दलित व गांव प्रेम से कहीं उनके वोट छिटक न जायें।

बसपा सुप्रीमो मायावती का कहना है कि बीजेपी व कांग्रेस का दलितों के घर जाकर भोजन करने का नाटक एक समान व ढोंग ही है। यही सपा व कांग्रेस भी कह रही है। जिससे साफ पता चल रहा है कि इन दलों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चैपाल और गांवों में रात्रि विश्राम तथा दलितों के बीच में जाकर भोजन करने के बाद उनसे उनका हाल चाल पूछना पसंद नहीं आ रहा है। अब मुख्यमंत्री ने अपनी कमान संभाल ली है और विरोधी दल एक बार फिर बेनकाब होने जा रहे हैं। साथ ही यह भी साफ हो गया है कि यह सभी दल दलितों और मुस्लिमों पर केवल अपना ही अधिकार समझते है। बसपा सुप्रीमो मायावती का तो यहां तक कहना है कि दलितों का वोट केवल उनका है उनका उस पर कोई और अपना अधिकार नहीं जता सकता। यह उनकी विकृत मानसिकता को ही उजागर करता है। यह लोकतंत्र है। विगत कई चुनावों से यह पता चल गया है कि अब मायावती का वोटबैंक कितना बिखर चुका है। अपने वोटों के बिखराव व नेताओं की बगावत को रोकने के लिये ही मायावती ने बेहद मजबूरी में सपा के साथ जाने का मन बनाया। वह यह भूल गयी हैं कि अभी चुनाव होने में बहुत समय है। अभी बीजेपी के पास अपनी सफलता के झंडे गाड़ने का पर्याप्त समय है। अगर ग्राम स्वराज अभियान व आयुष्मान भारत जैसी योजनयें सफल हो गयीं, तो इन दलों के पास कोई मुददा ही नहीं रह जायेगा।

मृत्युंजय दीक्षित