गीतिका/ग़ज़ल

जख्म गैरों के जाकर

      गजल : कुमार अरविन्द

      गैर के जख्मो को हर रोज सुखाते रहिये |
      अपने किरदार का किरदार निभाते रहिये |

      राब्ता ही न रहा मुझसे तो शिकवा कैसा |
      करके बर्बाद मुझे ज़श्न मनाते रहिये |

      उनको फुर्सत ही कहां हाल सुनाने की पर |
      दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए |

      कब कहा मैंने ज़रूरत नहीं मुझको तेरी |
      ख़्वाब में आ के मुझे यूँ ही सताते रहिए |

      कोई तो आपके नज़रों से ही घायल होगा |
      आप नज़रों से यूँ ही तीर चलाते रहिए |

      वो नज़ारें वो नजाकत वो अदाएं वो हँसी |
      अपने ज़ज़्बात सभी दिल के सुनाते रहिये |

      हाले ‘ अरविन्द नही पूछता है कोई गर |
      जब मिले मौका नये दोस्त बनाते रहिये |
      ___________________कुमार अरविन्द

कुमार अरविन्द

नाम - कुमार अरविन्द ( अरविन्द शुक्ला ) पिता का नाम - राम बहादुर शुक्ला पता - ग्राम - बंजरिया , पोस्ट विशुनपुर संगम , इंटियाथोक गोंडा यूपी ( 271202 ) शिक्षा - वनस्पति शास्त्र में परास्नातक लेखन शैली - गजल मोब. - 9415604118 दैनिक हमारा मेट्रो , वर्तमान अंकुर , राष्ट्रीय सहारा , दैनिक भास्कर अमर उजाला , अमर उजाला काव्य और बेव पत्रिकाओं जैसे कागज़ दिल , सावन , आदि में प्रकाशित