ग़ज़ल
पाला है जिसे प्यार से उसको विदा किया
बेटी के साथ-साथ उजाला भी दे दिया
है रोशनी तो उसको बिखरना ही चाहिए
ये सोचकर खुशी-खुशी जलता रहा दिया
ऐसा न हो जवाब से उट्ठें नये सवाल
सोचा दिलो-दिमाग ने होठों को सीं लिया
बेटी जहाँ रहो वहीं खुशियाँ बिखेरना
हर बाप बस यही दुआ देते हुए जिया
कटुता दिलों से दूर हो रिश्ते मधुर हों ‘शान्त’
हर घूँट हमने सब्र का हँसते हुए पिया
— देवकी नन्दन ‘शान्त’
गजब की गजल है