“मुक्तक”
सम्मानित है किर्ति, कहीं भी कैसी भी हो
मंदिर मंदिर राम, मूर्ति सीता जैसी हो
मर्यादा बहुमान, दिलाये वन में मन में
शासक पालक नेक, बाग मधुबन ऐसी हो॥-1
धोखा दे अपकीर्ति, अचानक आँधी आए
सुख सुविधा अरु आन, मान माटी मिल जाए
सोचो समझो यार, रार मत पालों मन में
सुलभ शुद्ध संगीत, राग कोकिल वन गाए॥-2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
सुंदर
बहुत बहुत स्वागत है आप का अरविंद सर जी, हार्दिक धन्यवाद