मुहब्बत की गली कूचों में क्या है
गजल : कुमार अरविन्द
मुहब्बत की गली कूचों में क्या है |
इधर देखो मेरी आँखों में क्या है |
बड़ा ही जोर है उन के जुबां में |
नही तो जोर जंजीरों में क्या है |
ये करने वाले हैं कर जाते हैं सब |
वगरना आग तकरीरों में क्या है |
खुदाया दिल नही देखा कहीं पे |
खुदा को पा गये ख्वाबों में क्या है |
मेरा ये ‘चांद घर में आ गया अब |
चलो छोड़ो न महताबों में क्या है |
परिंदे आसमां में घूमते क्यूँ |
गरीबी देख लो महलों में क्या है |
हमे अरविन्द मिल जाये खुदा बस |
तुम्हारे और इन ख्यालों में क्या है |