सौहार्द
हिन्दू न चाहिए न मुसलमान चाहिए
ना कब्र चाहिए न तो शमशान चाहिए
धर्म पे जिस, देश बँटे धर्म नही है
हर दिल में बस इक धर्म हिन्दुस्तान चाहिए ||
हमको न राम और न रहमान चाहिए
गीता न चाहिए न तो कुऱआन चाहिए
मजहब नही कहता है कि लड़ के कटो मरो
इंसानियत जिसमे हो वो इंसान चाहिए ||
ख़ामोश ना हो लब कोई मुस्कान चाहिए
हर शख्स हर इक गम से अब अंजान चाहिए
सियायत की आग से हमें है देश बचाना
मंदिर की आरती के संग अज़ान चाहिए ||
— विपुल पाण्डेय