कहानी

अनहोनी

वैसे तो मैं हर जगह हमेश समय से पीछे ही रहती हु , पर एक जगह थी , जहाँ मैं हमेश समय पर या यु कहिए की समय से पहले ही आ जाती थी ! वो है, मेरा ऑफिस ! जो कृष्णा नगर में था  ! सोमवार का दिन था, वैसे तो  रविवार के बाद सोमवार को ऑफिस जाने का मन तो नहीं करता मेरा , क्युकी एक दिन की छुटी में पता ही  नहीं चलता कब दिन बित जाता था, पर जो भी हो ऑफिस तो जाना ही होता था  ! तो मैं भी आलस त्याग कर बेड से उठ खड़ी हुई और ऑफिस के लिए तैयार होने लगी ! मुझे मेरे घर से ऑफिस जाने में मुझे 40 -45 मिनट लगते थे , क्योंकि मेरे घर से मेट्रो सीधी नहीं थी , इसलिए मुझे मेट्रो तक ऑटो करके आना होता था !

आज शायद किस्मत अच्छी  थी , जो ऑटो भी घर के सामने से मिल गया था , नहीं तो काफी दूर तक पैदल चलना होता था, और सुबह तो वैसे भी इतना मेरे से नहीं चला जाता ! घर से मेट्रो स्टेशन तक जाने में मुझे सिर्फ 10 मिनट लगते थे  , मेट्रो स्टेशन पर आ कर थोड़ी शांति मिलती है, कि चलो अब 40-45 मिनट तक कुछ बदलना नहीं पड़ेगा , आखिरकार मैंने ऑफिस जाने के लिए मेट्रो ले ली थी! रास्ते में मुझे अखबार पड़ने का शोक इसलिए  पूरे रास्ते में  वही पढ़ा  करती थी , क्युकी इधर – उधर लोगो को देखने से अच्छा है,  तो यही था, कि कुछ दुनिया दारी के बारे में जान लेना चाहिए!

आज भी मैं ऑफिस टाइम पर आ गयी थी ! अभी सिर्फ ऑफिस में 2-3 लोग ही आये थे क्योंकि 9:30 होने में वक़्त था ! मैंने अपना काम करना शुरू ही किया था, कि मेरे सर ने आ कर मुझे से कहा की आज एक क्लाइंट आ रहे है, जर्मनी से तो मैं उनको लेने जा रहा हु ,जब तक मैं आता हु,  तुम उसकी फाइल देख कर रखना और उसका हिसाब – किताब एक बार ध्यान से देख लेना ! इतना बोलते ही सर उस क्लाइंट को लेने चले गए, और मैं अपने काम में लग गयी थी  !

काफी देर तक मैने उस क्लाइंट का हिसाब – किताब ठीक किया , ज्यादातर कभी – कभी जल्दी में मैं काफी गलतियां कर देते थी,  बस अब उन्ही गलतियों को ठीक कर रही थी ! इन सब में एक बात बहुत अच्छी थी,  या बुरी पता नहीं पर मेरे लिए सही थी ! वास्तव में मेरे सर कभी भी मुझे डांटते  नहीं थे  , शायद उनको भी लगता था , कि इस लड़की ने तो सुधरना नहीं है , क्या बार – बार मैं इस को डाँटू ! लेकिन मैं पुरे दिल के साथ काम करती थी ,और कोशिश करती थी,  कि गलतिया न करू , पर कहते है  न की “इंसान जब तक गलती करेगा नहीं तब तक वे सीख़ नहीं सकता ” , बस मेरे भी वही हाल था !

लंच का समय हो रहा था ! सब लोग अपनी कमरे की लाइट्स बंद कर कर के नीचे खाना खाने जा रहे थे ! अक्सर फक्ट्री के सब लोग खाना और चाय साथ ही करते थे , मेरे कमरे के नीचे गोडाउन था !  वही उन सब की जगह थी,  जहाँ वे साथ बैठते थे ! मैं अपने ऑफिस मैं अकेली लड़की थी , बाकि तो  2 आंटी थी जो फैक्ट्री के ही काम करती थी , और वे भी नीचे ही सब के साथ खाना खाती थी , तो मुझे अकेले ही खाना खाना होता था , तो मैंने भी अपना लंच लिए और करने लगी !

सर अभी तक  नहीं आये थे , क्योकि  एयरपोर्ट के रास्ते में काफी भीड़ होती थी , इस लिए उन्हें आने में वक़्त लग रहा था ! मैंने अपना  लंच खत्म किया और अपनी मम्मी को फ़ोन किया , जो मेरे आदत थी , कि लंच के बाद मैं हमेश अपनी मम्मी को फ़ोन करके थोड़ा वक़्त बिताती थी , क्युकी हमारा लंच आधे घंटे का होता था , और मैं अपना लंच 10 मिनट में खा जाती थी , बस जो समय बचता वे मम्मी से बात करने में बिता जाता !

लंच ख़त्म हो चूका था,  सब अपनी- अपनी जगह पर वापस आ कर आपने काम में लग गए थे, मैं भी अपना काम करने में ही लगी थी , कि  इतने में सर का फ़ोन आ गया, और वे बोले कि  “हम बस 5 मिनट मे आ रहे है”  मैने क्लाइंट की फाइल्स और पेपर एक जगह रख दिये ,  ताकि उसके सामने मुझे इधर – उधर न भागना पड़े ! क्लाइंट अब ऑफिस आ चूका था , उसको देख कर  ऐसा  लग रहा था , जैसे वे काफी थक चूका था !  पर कुछ बोल नहीं पा रहा था , बस उसने  अपने काम की बाते शुरू कर दी, कि कब तक उसका समना तैयार हो जायेगा  !देखते  ही देखते समय कब बीत गया पता ही नहीं चला  और घडी में 6 बज गये , और पता भी नहीं लगा ! आज का समय कैसे बीत गया !

सर क्लाइंट को लेकर दूसरे कारखाने गए हुए थे , उस समय काम काफी था , इसलिए कुछ लोग  ओवरटाइम कर रहे थे , सब अपने – अपने  काम में व्यस्त  थे ! पता ही नहीं लग रहा था की 6 बज चुके थे , क्युकी हमेश 6 बज ने में 10 मिनट पहले ही सब की लाइट्स बंद हो जाती थी , आज वे सब अपने कामो में व्यस्त  थे  ! पर मेरा देर तक रुकना ठीक नहीं था , क्युकी एक तो मैं लड़की दूसरा मेरा घर काफी दूर था , शायद इसलिए मैं बार – बार गेट पर देख रही थी , कि सर आये या नहीं , फ़ोन करना उस समय मुझे अच्छा नहीं लग रहा था , क्युकी मेरा भी तो रुकने का फर्ज बनता था, क्युकी मैं अगर कभी लेट भी हो जाती थी ऑफिस आने किसी कारण वश तो सर कभी मुझे कुछ नहीं बोलते थे , शायद इसलिए मैं फ़ोन नहीं कर पा रही थी !

देखते ही देखते 8 बज  गये !  गेट पर देख – देख कर मैं अब थक चुकी थी , अचनाक गेट खुलने की आवाज आयी , मैंने देखा की सर आ गए थे, अब जा कर सांस में सांस आयी , क्युकी मेरे घर से भी लगतर फ़ोन आ रहे थे , और वो बार – बार मुझे पूछते , कि तुम ऑफिस से चले या नहीं !  अब मैं अपना बैग उठाकर चलने लगी , सर ने मुझे देखते ही कहा कि ,  तुम अभी तक गयी क्यों नहीं , आखिर कितना समय हो गया है , अब तक तुम्हे चले जाना था , आखिर एक फ़ोन ही कर देती ,

मैंने कहा ” कोई बात नहीं सर मेट्रो मेरे घर तक है , मैं आराम से चली जाऊगी आप परेशान न हो !

सर ने कहा ” ठीक है , अब जल्दी निकलो और घर जाकर फ़ोन कर देना !

मैंने  कहा ” ठीक है सर, शुभ रात्रि !

ऑफिस में तो सर को बोल दिया कोई बात नहीं , पर अब रोड पर आ कर देखा तो , काला अंधेरा हो चूका था ! सर्दी का समय था, इसलिए रोड पर बहुत कम लोग थे , पर घर तो जाना ही था !  तो  जैसे – तैसे मैंने भागते – भागते  एक ऑटो लिया , और मेट्रो स्टेशन तक आ गयी , जब मैं मेट्रो स्टेशन आयी,  तो देखा की आज दोपहर से मेट्रो में कोई खरबी के कारण मेट्रो बंद सेवा थी , और मेरे सिवा मेट्रो स्टेशन पर कोई नहीं था  , क्युकी शायद यह खबर न्यूज़ में दोपहर को ही बता दी गयी थी , इसलिए मेट्रो स्टेशन पर कोई भी दिखयी नहीं दे रहा था , मैं तो पहले से ही आधी डरी हुई थी ,ये देख कर और डर गई ! धीरे – धीरे चल कर मैं मेट्रो स्टेशन से बहार आ गयी , और टैक्सी बुक करने के लिए फ़ोन पर्स से निकला , देखती क्या हु  कि फ़ोन में तो बैटरी नही है ,

बोलते है ना  कि ” जब  किस्मत ख़राब हो तो कोई साथ नहीं देता, एक तो लेट , फिर मेट्रो बंद , अब बचा फ़ोन वो भी बंद हो गया”

अब तो मैं पूरी तरह से डर गयी थी क्युकी अब तो मुझे कोई रास्ता दिखाई  नहीं दे रहा था , अब मैं करू भी तो क्या करू , एक तो आस पास के लोग ऐसे देख रहे थे  ,कि जैसे वे अभी ही मुझे खा जायेगे, अब तो भगवान  का नाम ही लेना शुरू किया मैने , शयद वही कोई चमत्कार करे ! पर हालात ऐसे थे , कि वहाँ एक मिनट भी रुकना ठीक नहीं लग रहा था , पर करती भी तो क्या करती , बस अपने आप को कोस ही रही थी , कि शायद समय पर मैने अपना फ़ोन चार्ज कर लिया होता तो शायद आज इस  हाल में मुझे यहाँ खड़े नहीं होना पड़ता!

अब मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं था , कि मैं आज घर कैसे जाऊ इतनी रात में ,   ज्यादा देर तक यहाँ खड़े रहना मेरे लिए काफी मुश्किल था ,  एक लड़की के लिए इतनी रात को इस तरह बाहर रहना ठीक नहीं था , और वो भी दिल्ली जैसी जगह में , जहाँ हर एक घंटे में  10 जुल्म होता थे, खासकर लड़कियों के साथ ! बल्कि आज सुबह ही मैंने एक कालकाजी की ख़बर पड़ी थी , एक लड़की के साथ  कैसे २ लड़को ने रेप किया था , जो अब हॉस्पटल में जिंदगी  मौत के कगार पर खड़ी है , ये सब बाते सोचते – सोचते मैं और डर गयी और मुझे पसीना आने लगा !

फिर अचानक मेरे सामने एक कार आ कर रुकी थी  ,पहले तो मैने  ध्यान नहीं दिया उसपर , लेकिन जब मेरी नज़र उस कार पर पड़ी तो मैं डर सी गई,  जो एक आम बात थी , मैंने थोड़ी सी नज़र बचाकर देख तो कोई मेरी तरफ ही देख रहा था , मैं और डर गयी , और मैं जहाँ खड़ी थी,  वहाँ  से और आगे जाकर खड़ी हो गयी, और अब मैं पूरी तरह से डरी हुई थी , समझा ही नहीं आ रहा था की अब मैं क्या करू , पर मेरे पास कोई रास्ता नहीं  था ! फिर मैने देखा की कोई कार का शीशा खोल कर कोई मुझसे  बात करने की कोशिश कर रहा था , पर एक दो बार कुछ कहे कर कुछ कहे न सका , और चुप हो गया !  वे अभी भी  कार में ही था, अचनाक मुझे कार का दरवाज़ खुलने की आवाज आयी और मैं थोड़ा और आगे जाने ही वाली थी , कि उस इंसान ने मुझे आवाज लगी और कहा मैंडम आपसे कुछ बात करनी है, प्लीज आप मुझसे डरे नहीं , मैं आपकी मदद करना चाहता हु , मैं काफी देर से आपको यहाँ खड़े हुए देख रहा हु , और ऐसा लगता है , आप परेशान है ! मैं बस आपकी मदद करना चाहता हु , आप मुझे पर भरोसा कर सकती है , मानता हु की आज के समय में किसी पर भरोस नहीं किया जा सकता पर हर कोई एक सा नहीं होता , अगर अब भी आपको मेरी बात पर विश्वास नहीं है तो , मैं यहाँ से चला जाता हु ,पर प्लीज आप मुझसे इस तरह मत डरे !

अब मैं थोड़ी आगे आयी और मैने अपनी सारी प्रॉब्लम उस को बता दी , हां , डर तो लग रहा था , पर मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था

उसने मुझे घर छोड़ने के लिए कहा , और गाड़ी का दरवाज खोल दिया , पर अभी भी मैं इस सोच में ही थी , कि ये सब सही है या गलत  अब ज्यादा कुछ और सोचे बिना मैं उस के साथ  चलने के लिए तैयार हो गयी , और कार में आ कर बैठ गयी !

अब वे भी कार में आ कर बैठ गया और कार स्टार्ट करके चलने लगा , और मुझे पूछा की आप  कहाँ रहती है , मैं बड़ी धीरे  से कहा की “करोल बाग़ ”

फिर उसने कहा ठीक है , मुझे दिल्ली के रास्ते नहीं पता ज्यादा क्युकी मैं कुछ ही दिन पहले यहाँ रहने आया हु , आप यह लीजिये मेरे फ़ोन और गूगल मैप पर आपने घर की लोकेशन डाल दे ताकि हम आसानी से आपके घर जा सके , और इससे आपको भी डरने की जरूरत नहीं होगी , क्युकी मैं कार आपके मैप के अनुसार चलूगा और आपको शायद तब डर भी कम लगे !

मैंने गूगल मैप पर घर की लोकेशन डाल दी , और हम घर की तरफ चल पड़े , अब मुझे पहले से कम डर था , की चलो अब थोड़ा तो मुझे रास्ते का पता चलता रहेगा ! वे चुप चाप कार चलता रहा , बिना कुछ बोले , बस इतना ही कहा , कि आप आराम से सीट के साथ बैठ जाइयें ,आप थोड़ी देर तक आपने घर होगी !

मैं अब थोड़ा ठीक से बैठ गई ! वे इंसान भी चुप था , और मैं भी  , सिर्फ रास्ता पूछने के लिए ही वे बोलते थे, पर  शांति – शांति में कैसे घर आ गया , पता नहीं चला ,

मुझे अपना घर देखते ही ख़ुशी हुई ,कि आखिर मैं घर तक आ ही गयी, मैंने उसे शुक्रिया कहा ,और वो मुस्कुराकर वहाँ से चला गया !

चांदनी सेठी कोचर

नाम : चाँदनी सेठी कोचर जन्म तिथि : 12-12-1989 पिता का नाम : (स्व.) रमेश सेठी माता का नाम : श्रीमती वीना सेठी पति का नाम : डॉ. शुभंकु कोचर शिक्षा : बी.एड , एम.ए ( हिंदी साहित्य ) , बी.ए. साहित्य रुचि : महिला साहित्य और दलित साहित्य विधा : कहानी , लघु कथा , कविता, लेख. मोबाइल : 9818356504 ईमेल : [email protected] प्रकाशित रचनाओं का विवरण - वर्तमान लेखन: दैनिक व साप्ताहिक अखबारों, पत्रिकाओं में कहानी, कविता, लघु कथा सामाजिक लेख. दैनिक विजय दर्पण टाइम्स, स्वैच्छिक दुनिया, जागरूक जनता, चलते फिरते, अमृत इंडिया, दैनिक राष्ट्रीय नवाचार, अमर उजाला आदि ! PUBLICATION INFORMATION: 1. Book Details: S.No Title Type Book Name ISBN NO. Publishers 1 “बेटी” लघुकथा साझा संग्रह दीप देहरी 978-81-934061-6-8 Udeept Prakashan 2 “अनोखा रिश्ता” लघुकथा साझा संग्रह दीप देहरी 978-81-934061-6-8 Udeept Prakashan 3 “कामवाली” काव्य साझा संग्रह साहित्य उदय 978-81-934189-0-1 Udeept Prakashan 4 “खुशनसीब” काव्य साझा संग्रह साहित्य उदय 978-81-934189-0-1 Udeept Prakashan 5 “हार से मुकाबला” काव्य साझा संग्रह साहित्य उदय 978-81-934189-0-1 Udeept Prakashan 6 “अधूरा इश्क़” कहानी साझा संग्रह “दस्तक” 978-93-5300990-8 रवीना प्रकाशन 7 अनकहा दर्द काव्य साझा संग्रह भाव कलश 978-81-9381039-2 सन्मति पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स 8 एक सवाल काव्य साझा संग्रह भाव कलश 978-81-9381039-2 सन्मति पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स 9 आज की नारी काव्य साझा संग्रह भाव कलश 978-81-9381039-2 सन्मति पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स 10 माँ की याद काव्य साझा संग्रह भाव कलश 978-81-9381039-2 सन्मति पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स 2 लघु कथाएं :- (Short Stories) • अजब – गजब • अनोखा रिश्ता • अमूल्य वस्तु • कन्यादान • जैसी करो और वैसी भरो • बेटी • मन की बात • रेणु 3 . काव्य : - (Poetry) • काम वाली • खुशनसीब • हार से मुकाबला • मोहब्बत का दर्द • एक जवाब • पुराने जख़्म • भेद - भाव • मीठी यादें • मातृ प्रेम का अहसास • रिश्ता • सोचना जरूर • सम्मान • आज की नारी • पिता • मजदूर पिता • मेरी कलम • अनकहा दर्द • एक सवाल • नारी का त्याग • माँ • एक वेश्या • दर्द ए इश्क़ • प्यारा काकू • पर्यावरण की देन • योग के लाभ • पिता प्रेम • एक किन्नर • पहली बारिश • रक्षा का वादा 4. कहानियाँ: (Stories) • यादगार सफर • अधूरा इश्क़ • अनहोनी • विश्वास • अनोखी यात्रा • “खामोश प्रेम” • आधुनिक दहेज़ • रोटी • अस्तित्व • संघर्ष और विजय • मुखौटा • कागज़, कलम और फ़ोन 5 पत्रिका :- (Magazine) पत्रिका का नाम विधा रचना का नाम काव्य स्पंदन चित्र गुप्त प्रकाशन कविता आज की नारी काव्य स्पंदन चित्र गुप्त प्रकाशन कविता पिता काव्य स्पंदन चित्र गुप्त प्रकाशन कविता मातृ प्रेम का अहसास काव्य स्पंदन चित्र गुप्त प्रकाशन कविता मजदूर पिता काव्य स्पंदन चित्र गुप्त प्रकाशन कविता मेरी कलम प्रणाम पर्यटन पत्रिका कविता एक सवाल जय विजय पत्रिका कहानी “बेटी जय विजय पत्रिका कविता मेरी कलम प्रणाम पर्यटन पत्रिका कविता एक वेश्या जय विजय पत्रिका कहानी संघर्ष और विजय अविचल प्रवाह लघुकथा रेणु अविचल प्रभा कविता मज़दूर पिता डिप्रेस्ड एक्सप्रेस मैगज़ीन कहानी आधुनिक दहेज़ नारी शक्ति सागर कविता पिता सम्मान- (Award) उदीप्त प्रकाशन द्वारा लघु कथा के लिए श्रेष्ठ युवा रचनाकार सम्मान ! उदीप्त प्रकाशन द्वारा काव्य के लिए श्रेष्ठ युवा रचनाकार सम्मान ! साहित्य संगम संस्थान द्वारा बोली संवर्धन कार्यक्रम में प्राप्त सम्मान पत्र मई – 2018. साहित्य संगम संस्थान द्वारा बोली संवर्धन कार्यक्रम में प्राप्त सम्मान पत्र जून – 2018. साहित्य संगम संस्थान द्वारा आयोजित ऑनलाइन कवि सम्मेलन में भाग लेकर पर्यावरण के संरक्षण एवम् सम्वर्धन में शानदार प्रस्तुति के लिए सम्मान पत्र 2018. साहित्य संगम संस्थान द्वारा बोली संवर्धन कार्यक्रम में प्राप्त सम्मान पत्र जुलाई – 2018. साहित्य संगम संस्थान द्वारा बोली संवर्धन कार्यक्रम में प्राप्त सम्मान पत्र जुलाई – 2018. साहित्य संगम द्वारा बोली संवर्धन कार्यक्रम में प्राप्त सम्मान पत्र अगस्त – 2018 आगमन फाउंडेशन द्वारा लाइफ टाइम मेम्बर अवार्ड – 2018 साहित्य संगम संस्थान द्वारा व्याकरण शाला दैनिक कार्य में प्राप्त सम्मान पत्र 9 जुलाई – 2018. साहित्य संगम संस्थान द्वारा व्याकरण शाला दैनिक कार्य में प्राप्त सम्मान पत्र 12 जुलाई – 2018. आगमन फाउंडेशन द्वारा “भाव कलश” में रचनाकार सहयोग के लिए "सर्वश्रेष्ठ रचनाकार का सम्मान " महान कवि "डॉ. डॉ कुंवर बेचैन "के हाथों से प्राप्त - अगस्त – 2018. साहित्य संगम संस्थान द्वारा जनचेतना सम्मान पत्र प्राप्त अगस्त – 2018 उन्नंती शिक्षा संस्थान हिसार द्वारा आयोजित कार्यक्रम अग्गाज बेटियों का में "राज्य सभा सांसद दिल्ली सुशील कुमार गुप्ता" द्वारा "गैस्ट ऑफ ऑनर अवॉर्ड" का सम्मान मिला 30-अगस्त – 2018. आगमन फाउंडेशन द्वारा “ऑनलाइन प्रतियोगिता" में भागा लेकर दूसरे स्थान पर मेरी कहानी " कागज़, कलम और फ़ोन" के लिए सम्मान पत्र मिला ! आगमन फाउंडेशन द्वारा “ऑनलाइन प्रतियोगिता" में भागा लेकर दूसरे स्थान पर मेरी कहानी “उत्सव” के लिए सम्मान पत्र मिला ! उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में "काव्य रंगोली पत्रिका द्वारा साहित्य भूषण सम्मान 2018 से सम्मानित किया गया ! "आमंत्रण" मस्तानी दिल्ली के कार्यक्रम में "गैस्ट ऑफ ऑनर अवॉर्ड" से सम्मानित किया गया ! तमन्ना उड़ान के द्वारा आयोजित कार्यक्रम "तमन्ना उड़ान की " 101 महिलाओं की सूचि में मुझे भी सम्मानित किया गया ! संपादन पत्रिका : अविचल प्रभा अंक -13 , माह – सितम्बर. अविचल प्रभा अंक - 14 , माह – अक्टूबर . अविचल प्रभा अंक - 15 , माह – नवंबर. GUEST OF HONOUR Visited as a Judge in Lady Irwin College (Delhi ) for poetry competition on 28 August 2018. Visited as a Judge in Unnati Educational Society (Hissar) on 30 August 2018. साहित्य अर्पण ( एक नई सोच ) अयोनाकर्ता का कार्य , नये कवियों को मंच देना ! दिसंबर में ही साहित्य अर्पण की पहली पत्रिका का भी आगमन हुआ है ! जग़ह - जगह कवि सम्मेलन का आयोजन करना, ताकि मंच पर सभी विधो में लिखने वालों को स्थान मिले ! CHANDNI SETHI KOCHAR +91-9818356504 Mail id : [email protected] Facebook : chandni sethi kochar