कविता

बेकारी

बेकारी के इस आलम में ,
क्या -क्या धन्धे होते है ।
धूप छाँव रहती है जीवन में ,
फ़िर भी अंधे होते है ।
यह समझ नही आता मानव को
झगडा कोई विकल्प नही ,
यह जीवन है कांटों भरा समुन्दर ,
चलना इस पर सहज नहीं ।
नाटकीयता के साथ जीने वालों ,
जीवन सिर्फ रंगमंच नही है ,
दुःख का दरिया पार करे जो उससे बडा कोई मनुष्य नहीँ है ।
— डा माधवी कुलश्रेष्ठ

डॉ. माधवी कुलश्रेष्ठ

पिता का नाम स्व . श्री हरेंद्र पाल कुलश्रेष्ठ पति का नाम श्री अरविन्द कुलश्रेष्ठ वर्तमान पता सी -14 न्यू आगरा फोन न . 9412426559 8218644036 ;8193909436 शिक्षा . एम॰ ए एम .एड पी .एच डी . (हिन्दी ..मनोविज्ञान इतिहास और संगीत गायन ) व्यवसाय - प्रधानाचार्य काव्य कलश सम्मान , भाव-भूषण सम्मान , और भी कई शाखाओं में उच्च पदों पर रहकर समाज सेवा कर रही हूँ लेखन कार्य भी करती हूँ । साझा संकलन भी छप चुके हैो