” अब तो मुरली,अधर धरो ना ” !!
रंग केसरी ,
सज़ धज मेरी !
पुलकित मनसिज ,
देह धनुष सी !
बन्द पलक में ,
छिपे नगीना !!
अब तो मुरली
अधर धरो ना !!
बांधी अलकें ,
पल पल गमके !
कनक कनक सी ,
काया दमके !
कंगना चुप से ,
मथे दही ना !!
अब तो मुरली ,
अधर धरो ना !!
सुध बुध भूली ,
सब कुछ भूली !
हुई बावरिया ,
जग को भूली !
मूंदी अँखियाँ ,
चाह रही ना !!
अब तो मुरली ,
अधर धरो ना !!
कह सुन हारे ,
बैन सांवरे !
चुप चुप नयना ,
लगे बावरे !
लाज शरम चुप ,
बात बनी ना !!
अब तो मुरली ,
अधर धरो ना !!
सौंपा तन मन ,
सर्वस्व समर्पण !
शिथिल हुए हैं ,
सारे बन्धन !
पीड़ा देखो ,
जाए सही ना !!
अब तो मुरली ,
अधर धरो ना !!