कविता – माँ के कदमों में जन्नत है
माँ के कदमों में जन्नत है…..
माँ की सेवा ही सबसे बड़ी होती है।
माँ के कदमों में छिपी जन्नत होती है ।।
नहीं कहती माँ मुझे पूजो बेटे बेटियों।
उसकी इबादत में छिपी खुशी होती है।।
आकर भले देता खुदा संस्कार कौन देता।
जो तहजीब सिखाए वह माँ ही होती है।।
खुद दुनियां के सितम सह लेती हज़ारों ।
पर रिश्तों की माँ से ही हिफाज़त होती है।।
करिश्में दिखाती है माँ हज़ारों देख लीजिए।
यूँ ही माँ किसी पर मेहरबान नहीं होती है।।
— कवि राजेश पुरोहित