नहीं बनूँगा
मैं विद्रोही नहीं बनूँगा
मै अवरोही नहीं बनूँगा।
तुम उद्दंड भले हो जाओ,
मैं निर्मोही नहीं बनूँगा।
स्वप्न सदा देखा उन्नति का,
सपनों को कभी नहीं मारा।
पाव के छाले जख्म बन गये,
फिर भी संकल्प नही हारा।
तेरे कलुसित कर्म में मिलकर,
मैं देशद्रोही नहीं बनूँगा।
तुम उद्दंड भले . . . . .