इक दुनिया प्यार और सच्चाई भरी
ढूंढती हूँ एक दुनिया नयी
जहाँ दुनिया की भीड़ में असली चेहरे छिप न जाये कहीं
जहाँ आंसू नकली, मुस्कान बनावटी बन ना जाये कभी
रिश्तें सिर्फ मतलब के न रह जाये जहाँ
ढूंढती हूँ एक ऐसी दुनिया
जहाँ रूह से पहचान हो सबकी
भाषा हो एक सबकी
प्यार के आंसू, प्यार भरी मुस्कान हो
रिश्तें हमदर्द बन, हर दर्द से अनजान रहें ऐसी दुनिया जिसे ढूंढती हैं नज़रें बाहर
वो सब कुछ है मेरे भीतर ही कहीं…
— सुमन राकेश शाह (रूहानी)