सेवानिवृत के बढ़ते दो साल
बाबूजी को सेवानिवृति के दिन नजदीक आते वैसे वे तीर्थ ,सामाजिक दायित्व आदि कार्य निभाने हेतु सेवानिवृति पश्च्यात किये जाने वाले कार्य की बातें सब को बताते और अपने कार्यकाल की बातों और ,अनुभव को बकायदा शेयर भी करते | सेवानिवृति के दिन नजदीक आगये यानि 31 को सेवानिवृत और 30 को घोषणा दो वर्ष सेवाकाल में वृद्धि की | घरों में भजिए तले गए ,मिठाईया बाटी गई | पार्टी मनने लगी | साथीयोंने सेवानिवृति पर सेवानिवृत होने वाले के लिए उदबोधन स्वरूप लिखा गया मेटर को जेब से निकलने का मौका ही नहीं दिया| ऐसा लग रहा था की फिल्म नए अंदाज में रिलीज हो रही | बाबूजी सभी को आप सबका आशीर्वाद है कहते नहीं थक रहे थे | सैलेरी मिलने का दिन उधर आ धमका एक अप्रैल और ऊपर से रविवार का दिन \ आदेश का इंतजार | मन में खुटका पैदा होता ही जा रहा था | साथी बुद्धिजीवी लोग एक से बढ़कर एक राय देने से नहीं चूक रहे थे | व्हाट्सप ,पेपर, खोजी खबरों ने बाबूजी की नींद उडा दी | परंतु मन में है विश्वास का गाना कान में जैसे ही पड़ा | बहारें फिर से आगई | दूध वाला ,किराने वाला ,अखबारवाला ,मकान मालिक ,मिलने जुलने वाले यानि सब बधाई दे रहे थे | कोई तो दुकान के अंदर बैठा हुआ ही कहा रहा था -बाबूजी नमस्कार |”बधाई हो “|बाबूजी ने नए कपड़ों को नाप भी दे दिया, दाढ़ी -कटिंग भी बनवाली मगर ख़ुशी के कारण सुबह नींद ही नहीं खुली | उनकी श्रीमती ने जगाया और कहा की आपको ऑफिस नहीं जाना क्या ?और गर्मागर्म चाय के साथ साथ बिस्किट भी दिए | बाबूजी ने अपनी पत्नी को कहा -मै तो सपना देख रहा था की मेरे दो साल सेवाकाल के बढ़ गए ” | तुमने जगाया तो मालूम हुआ की सपना भी सच होगया | फिर सोचने लगे की 65 हो जाती तो और भी मजा आजाता | क्योकि दूसरे विभागों मेडिकल में तो 65 है | श्रीमती जी टोक ही दिया -बस इतनी ही ठीक है | जाओ बाजार से जल्दी सब्जी भाजी ले आओ | जल्दी खाना बनाकर, आपको खिलाकर ऑफिस भेजना है | वहां सब आपका इंतजार कर रहे होंगे |
— संजय वर्मा “दृष्टी”
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