नारी को यूँ ही मत समझो, नारी है धरती की शान
पढ़ लिखकर अब खूब बनाए, खुद ही यह अपनी पहचान।
बेटी को तुम कम मत जानो, बेटे सम है बेटी आज
बेटे जैसा हक दो इसको, देगी ये तुमको सम्मान।
ख्वाब सजाती नैनों में यह, देती है उनको आयाम
छूती है नभ की उंचाई, निज पंखों से भरे उङान।
शिक्षित बेटी को कर डालो, उसको मत दो इक तुम जेल
इक दिन गूंजेगा फिर जग में, उसके यश का देखो गान ।
अबला फूलों सी कोमल है, ममता की मूरत है नेक
लेकिन बन जाती है दुर्गा, संकट जब भी पङता आन ।
हर पल मुस्काती रहती है, आंसू खुद के देखो भूल
इतना धीरज धरती मन में, देखे जिसको सब हैरान।
कुचलो मत तुम इसके मन को, जानो इसका क्या है मोल
नतमस्तक हो इसके आगे, खुद भी वो जग का भगवान।
— डाॅ सोनिया