तुमसे कुछ कहना है
तुमसे कुछ कहना है
कब से बटोर रही हूँ शब्दों को
एक पहाड़ सा बन गया है शब्दों का
अब मुहिम है,छंटनी की…
उलीच रही हूँ शब्दों को
कि मिल जाये कोई ऐसा शब्द
जो ज़ाहिर कर दे
मन के सारे जज़्बात ज़र्रों की त्यों
बोल दे जो
कि हां
है जीवन में तुम्हारी जरूरत
खोजना चाहती हूॅं
एक बिल्कुल नया और पूर्ण शब्द
जिससे सम्प्रेषित हो
वही बात
जो जाने कब से
कहना चाहती हूँ तुमसे..
एक ऐसा शब्द
जो मेरे न होने पर भी
तुम्हें मेरा एहसास करवाये
तुम्हारे और मेरे मध्य
निर्वात में गूँजता रहे
अनहद नाद बनके……!!!
— सुमन शर्मा