” मैं रीती या जग रीता ” !!
रीता बन्धन ,
रीती गाँठे ,
मैं रीती या जग रीता !!
दामन से जिसको बांधा था ,
छूट गया वह पल में !
खुशियों की गलबहियां देकर ,
रूठ गया वह पल में !
अंश मिले उनमें छवि देखी ,
मिला वही अनचीता !!
पाला पोसा बढ़ा कर दिया ,
नीति रीति सीखा दी !
किया पल्लवित नवजीवन को ,
उसको नई दिशा दी !
मेरी हिस्से जो भी आया ,
लगे वही पल जीता !!
गाँठ बाँध कर ब्याह रचाया ,
खुशियों ने दस्तक दी !
मीठे मीठे पल लुभावने ,
हँसी मिली मीठी सी !
मार पटखनी समय पूछता ,
कैसा लगा पलीता !!
घर से बेघर अपनों ने की ,
तभी लगे अनजाने !
जिनके ऊपर खुशियाँ वारी ,
हुए वे ही मनमाने !
सब कुछ बिखरा , गया हाथ से ,
हाथ रह गयी गीता !!
माँ की ममता तार तार सी ,
हुई चूक की सोचे !
आतप पसरा किया किनारे ,
उठी हूक की सोचे !
लाल अभी तक हैं बेफिकरे ,
लौटा प्रभु पल बीता !!
फीकी फीकी सी दुनिया है ,
किरण आस की टूटी !
मन के भीतर है उजियारा ,
खुशहाली है रूठी !
नारी जीवन कठिन परीक्षा ,
हर युग की वह सीता !!