उजरत में दो गुमशुदगी
लिखना शोख़ ख़यालों को
करना क़ैद ग़ज़ालो को
उजरत में दो गुमशुदगी
मुझको ढूँढने वालों को
लहरें देखती रहती हैं
दरिया देखने वालों को
हल करने से डरता हूँ
सब आसान सवालों को
जुल्फें इनसे दूर न कर
ख़ुश रहने दे गालों को
प्रखर मालवीय “कान्हा ”
ग़ज़ाल- हिरन / Deer
उजरत – मेहनताना /Wages