कविता

रुको मत !

ये खटपट वाले रिश्ते भी
जब मौन होते हैं
तो मन को छटपटाहट होती है
जाने क्या हुआ
इनका लड़ना-झगड़ना ही
साबित करता है
जिंदगी में बाकी है
अभी बहुत कुछ करना
किसी को मनाना है तो
किसी को सोते से जगाना है !

सीधी लाईन होती है न
जब ईसीजी में
तो उसका अर्थ होता है
हम जीवित नहीं है
उतार-चढ़ाव ये टेढ़े-मेढ़े रास्ते
जिन पर उछल-कूद करते हुये
जिंदगी बिंदास होकर
अपना संतुलन बना ही लेती है
तब हम मुस्करा देते हैं
तो रूको मत
जिंदगी और समय के साथ
कदम मिलाते जाओ
उसकी ही ताल में
खुशियां मिलेंगी हर हाल में !!!

सीमा सिंघल 'सदा'

जन्म स्थान :* रीवा (मध्यप्रदेश) *शिक्षा :* एम.ए. (राजनीति शास्त्र) *लेखन : *आकाशवाणी रीवा से प्रसारण तो कभी पत्र-पत्रिकाओ में प्रकाशित होते हुए मेरी कवितायेँ आप तक पहुँचती रहीं..सन 2009 से ब्लॉग जगत में ‘सदा’ के नाम से सक्रिय । *काव्य संग्रह : अर्पिता साझा काव्य संकलन, अनुगूंज, शब्दों के अरण्य में, हमारा शहर, बालार्क . *मेरी कलम : सन्नाटा बोलता है जब शब्द जन्म लेते हैं कुछ शब्द उतरते हैं उंगलियों का सहारा लेकर कागज़ की कश्ती में नन्हें कदमों से 'सदा' के लिए ... ब्लॉग : http://sadalikhna.blogspot.in/ ई-मेल : [email protected]