तुमसे प्यारा
चांद सी शीतल हो तुम
फूलों सी कोमल हो।
हवाओं सी दीवानी तुम
सुगंधित परिमल हो।
हैं नयनों में कटार छुपे
अद्भुत होटों की लाली है।
चेहरे पर है तेज बड़ा
तेरी हर बात निराली है।
कद भी तेरा सुंदर है
अतुलित तेरी बनावट है।
हर अंग तेरा है खिला हुआ
तू खुदा प्यारी लिखावट है।
तेरे मुस्काने से फूल खिले
हंसने से तेरे पवन चले।
जो अंगराई तू लेती है
भंवरों को गुंजन स्वर मिले।
बलखाती-इठलाती तू
जब चले हौले से।
उमड़-घुमड़ आ जाए मेघ
फूलों से मधु बरसे।
परियों की रानी है तू
तुम इस कवि की काव्य धारा।
हो प्रभु की अनुपम सृष्टि
न कोई कहीं है तुमसे प्यारा।।
मुकेश सिंह
सिलापथार,असम।
मो०- 9706838045