कविता “पिरामिड” *महातम मिश्र 07/06/2018 ये जग जीवन जनधन पशु व पंक्षी लगती है अच्छी सागर मिली नदी।।-1 है यह संसार उपहार वाणी विचार सुगमानुसार जीव जीव से प्यार।।-2 महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी