कविता

इक कलाकार की कहानी …

इक इक पत्थर को कितनी..
तल्लीनता से सजा रहा था वो,
कीमती थे ये वो जानता था,
सहेज के उठाकर, सलीके से रखता,
हर कोने से उसे देखकर …
ख़ुश हो रहा था अपनी कारीगरी पर ,
होता भी क्यों न, उन पत्थरों से भी कीमती
अपने जज़्बात वो सजा रहा था …
जो उस ज़ेवर की नक्काशी को
और भी ज्यादा निखार रहे थे …
जैसे जैसे वो ज़ेवर आकार लेता,
उन आंखों की चमक बढ़ने लगती
जैसे उसके सपने आकार ले रहे हो…सुमन
और वो सोच रहा था कि
काश!! अपने कीमती रिश्तों को भी
सजाना और निखारना इतना
आसान होता…

सुमन राकेश शाह “रूहानी”

सुमन राकेश शाह 'रूहानी'

मेरा जन्मस्थान जिला पाली राजस्थान है। मेरी उम्र 45 वर्ष है। शादी के पश्चात पिछले 25 वर्षों से मैं सूरत गुजरात मे रह रही हुँ । मैंने अजमेर यूनिवर्सिटी से 1993 में m. com किया था ..2012 से यानि पिछले 6 वर्षों कविताओं और रंगों द्वारा अपने मन के विचारों को दूसरों तक पहुचने का प्रयास कर रही हुँ। पता- A29, घनश्याम बंगला, इन्द्रलोक काम्प्लेक्स, पिपलोद, सूरत 395007 मो- 9227935630