आज की नारी
आपके आने से ,
या ना आने से,
मुझे अब कोई फर्क नहीं पड़ता ,
क्योंकि अब आपके लिए मेरे
दिल में कोई प्रेम बाकी नहीं है !
जिस दिन आपने ,
एक नारी की आबरू
के साथ खेला था,
उसी दिन से मेरे दिल में आपके
लिए कोई सम्मान बाकी ना रहा !
हमें विश्वास था ,
आप पर अपने से भी ज्यादा
जो आज एक नारी के अपमान
के बाद बाकी ना रहा !
हमे अभिमान था ,
अपने – आप पर
आज वो चूकना – चूर
हो कर भी बाकी ना रहा !
बस बहुत हुआ
अब मैं कमजोर
नहीं पड़ सकती
चाहे उसके लिए मुझे
आपका त्याग क्यों ही
ना करना पड़े !
चांदनी सेठी कोचर
दिल्ली