कन्यादान
रीता कानपूर के एक व्यापारी की बेटी थी ! उसकी शादी भी एक बहुत बड़े परिवार में हुई थी , और वह वहाँ बहुत खुश भी थी , कि उसको इतना प्यार करने वाला पति और इतना प्यार करने वाले ससुराल वाले मिले थे ! जो उसकी हर बात को मानते और उसको पूरा करते थे , वह कभी – कभी यह भी सोचती थी , कि कम पढ़ी – लिखी होने के बावजूद भी उसके बिज़नेस मैन पति ने उससे शादी की है !
लेकिन यह खुशियाँ कुछ पल की ही थी , क्योकि अचानक रीता के पिता जी का देहान्त हो जाता है, जिनसे वह सबसे ज्यादा प्यार करती थी ! आज वह उसके साथ नहीं थे , पर रीता को पता था, कि उसके ससुराल वाले उसके पिता की कमी उसे कभी महसूस नहीं होने देंगे!
रीता का एक भाई भी था , जो पिता के देहान्त के बाद उनका व्यापार संभालने लगा था , और वही दूसरी तरफ अचानक रीता के पति और उसके ससुराल वालो के व्यहवार में बदलवा न जाने कहाँ से आ गया था , वे लोग रीता से अब अच्छे से बात तक नहीं करते थे, तो प्यार तो दूर की बात थी ! वही दूसरी तरफ रीता के पति का व्यापार भी अब अच्छे से नहीं चल रहा था !