” कहाँ चल दिये हो इठलाकर ” !!
बाँहें पकड़ी ना जाने दूं !
राहें रूठी ना माने तू !
दुनिया तेरी मेरी दुश्मन ;
कहां चल दिये ,
हो बल खाकर !!
भुजदंडों में दम है तेरे !
कांधों पर रखती सिर तेरे !
मैं कातर , सहमी सहमी हूँ ;
हिम्मत दो तुम ,
प्यार जताकर !!
सारे विपदा को सह लूँगी !
छाया बन कर मैं रह लूँगी !
खूब संजोया विश्वासों को ;
साथ चलो भी ,
कदम मिलाकर !!
सपनों में अब रंग भरना है !
हिम्मत से आगे बढ़ना है !
कदम डगमगा कहीं न जाये ;
चलो हाथ में ,
हाथ थमाकर !!
समय करे उनकी अगवाई !
राह जिन्होंने आप बनाई !
एक दूजे की ताकत हैं हम ;
करो न गर्जन ,
कुछ मदमाकर !!