” ज़िन्दगी ” !!
कभी टेढ़ी , कभी सीधी ,
कभी मीठी है ज़िन्दगी !
बहे कलकल , अविरल ,
बड़ी निश्छल ज़िन्दगी !!
ले के अवलम्ब कोई ,
कहीं पलती , बढ़ती !
कभी ये सीढ़ी चढ़े ,
कभी सीढ़ी उतरती !
रुके ना थमे कहीं ,
बड़ी चंचल ज़िन्दगी !!
लिये अंगड़ाई यही ,
कहीं मदमाती दिखे !
कहीं लुटती पिटती ,
यही असहाय दिखे !
कभी मथती पल पल
करे हलचल ज़िन्दगी !!
कभी औरों के लिये ,
कभी अपनों के लिये !
कभी अलमस्त लगे ,
कभी सपनों के लिये !
लगे नचती , लिए मस्ती ,
जैसे सन्दल जिंदगी !!
कहीं ढलती ये दिखे ,
कहीं छलती ये दिखे !
कभी खुद जाये ठगी ,
हाथ मलती ये दिखे !
बड़ी नटखट , भगे सरपट ,
करे हलचल ज़िन्दगी !!