” ————————- पर्दे की होशियारी ” !!
छिपा रही है चाँद सलोना , दुनिया की नज़रों से !
चेहरे पर मुस्कान जगाती , पर्दे की होशियारी !!
मान बड़ों का यहाँ छिपा है , और लाज के डोरे !
बड़बोले से बोल यहाँ पर , पर्दे की होशियारी !!
कहीं बचाती बुरी नज़र से , टकराते कहीं नैन !
शह मात का खेल भी खेले , पर्दे की होशियारी !!
परदे में रिश्वत पलती है , पलते नेता अफसर !
कई यहाँ पर राज छिपे हैं , परदे की होशियारी !!
धर्म आड़ ले मुल्ला , गुरुजन ,खेल कई खेले हैं !
सभी छुपे रुस्तम बन जाते , पर्दे की होशियारी !!
रंग , रूप की मंडी सजती , भाव यहाँ लगते हैं !
कलिकाओं का मोल रुका ना , पर्दे की होशियारी !!
पर्दे के पीछे यहाँ जाने , कब तक खेल चलेगा !
हमें समझना होगा भैये , पर्दे की होशियारी !!
परदे से परहेज़ बढ़ा है , घटी है परदेदारी !
अभी मंच पर पड़ी यवनिका , पर्दे की होशियारी !!