मुक्तक/दोहा

“मुक्तक”

“दोहा मुक्तक”

परिणय की बेला मधुर, मधुर गीत संवाद।

शोभा वरमाला मधुर, मधुर मेंहदी हाथ।

सप्तपदी सुर साधना, फेरा जीवन चार-

नवदंपति लाली मधुर, मधुर नगारा नाद॥-1

“मुक्तक” छंद मधुमालती, मापनी – 2212 2212

अहसान चित करते रहो।

पहचान बिन तरते रहो।

कोई पुकारे सड़क महीं-

सुनकर उसे भरते रहो॥-2

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ