कविता “पिरामिड” *महातम मिश्र 13/06/2018 ये हवा हवाई पुरवाई नैना लगाई उड़ते विमान मुट्ठी में आसमान॥-1 वो उड़ा जहाज लहराया दिल डराया सिर फिरा गिरा बादल घहराया॥-2 महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी