“कुंडलिया”
चलते- चलते राह में, जब मिलती पहचान।
देख अचानक प्रेम को, हो जाते हैरान॥
हो जाते हैरान, मौसमी आँधी उड़ती।
उठ जाते हैं हाथ, निगाहें जब प्रिय पड़ती॥
कह गौतम कविराय, दिल लिए प्रेमी पलते।
कर देते न्योछार, त्याग मन लेकर चलते॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी