मामा जी के राज में
सारी डिग्री सारा नंबर व्यर्थ हो गया ,
मामा जी के राज में अनर्थ हो गया।
माँ के आँखों का तारा था वो,
पूरे घर का सहारा था वो।
अंधे पिता की लकड़ी सा पर,
खुद मन से बेसहारा था वो।
फर्श से अर्श का फार्मूला व्यर्थ हो गया,
मामा जी के राज में . . . . . . .
किस स्थिति में अपने छूटे,
सपन सलोने घर के टूटे।
आँसू सूख गये आँखों के,
यूँ अपनों से अपने रूठे।
इक पल में सारा अफसाना गर्त हो गया,
मामा जी के राज में . . . . . . .